इम्युनिटी को बूस्ट करने में कैसे मददगार है होम्योपैथिक उपचार ?

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इम्युनिटी को बूस्ट करने में कैसे मददगार है होम्योपैथिक उपचार ?

गलत खाने की आदत आपकी इम्यून लेवल को नीचे गिरा सकती है जिसकी वजह से हमे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके इलावा इम्यून सिस्टम को कैसे होम्योपैथिक की मदद से बढ़ाया जा सकता है हम इसके बारे में आज के आर्टिकल में बात करेंगे ;

शरीर में इम्यून सिस्टम के घटने से क्या होता है ?

शरीर में इम्यून सिस्टम के घटने से कई तरह की बीमारियां निकल कर सामने आती है, जैसे :

  • जब व्यक्ति के शरीर में इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है तो वह बार-बार बीमार पड़ता है। थकान महसूस करता है। जैसे की नींद पूरी ना होना, तनाव, एनीमिया या क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम। लेकिन कई बार व्यक्ति पूरी नींद लेने के बाद भी थकान अगर महसूस करे तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम काफी कमजोर है।
  • इम्यून सिस्टम का काफी घटना कई बार व्यक्ति को मौ-त के मुँह में भी ले जाता है।

यदि आपके शरीर में भी इम्यून सिस्टम की कमी आ गई है तो इसको बढ़ाने के लिए दिल्ली में बेस्ट होम्योपैथिक क्लिनिक के संपर्क में आए।

इम्युनिटी सिस्टम क्या है ?

इम्युनिटी सिस्टम क्या है, के बारे में हम निम्न में बात करेंगे ;

  • प्रतिरक्षा प्रणाली को रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्यून सिस्टम भी कहा जाता है, जो शरीर की महत्वपूर्ण प्रणालियों में से एक है। इम्यून सिस्टम हमारे शरीर के बाहर के बैक्टीरिया, वायरस और अन्य सभी प्रकार के रोगाणुओं से बचाने का काम करता है।

इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होने के क्या कारण है ?

इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कई कारण हो सकते है, जिनमे से कुछ को हम निम्न प्रस्तुत कर रहे है ;

  • इम्यून सिस्टम कमजोर होने के बहुत से कारण है, जैसे-पहले से कोई बीमारी या फिर जरूरत से ज्यादा सिगरेट या शराब पीने की आदत, पूरी नींद ना लेने और खराब खान-पान से भी इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने से व्यक्ति बार-बार बीमार पड़ता है।
  • विटामिन बी6 की कमी के कारण भी शरीर में इम्यून सिस्टम कमजोर होता है।

होम्योपैथिक में इम्यून सिस्टम को बढ़ाने के लिए कौनसी दवाई है कारगर ?

होम्योपैथिक में बहुत सी ऐसी दवाई है जिनका सेवन सिर्फ इम्यून सिस्टम को बढ़ाने के लिए किया जाता है, जैसे ;

  • इम्यून सिस्टम को बढ़ाने की बात करे तो कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि आर्सेनिकम अल्बम और कंपेयर दवा विशेष रूप से कारगर है। तो वही आर्सेनिकम अल्बम दवा महीने में तीन बार सुबह, शाम, दोपहर लेनी आवश्यक है जबकि, कंपेयर दवा महीने में एक बार ही ले। इन दोनों दवाइयों के सेवन से शरीर में इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
  • इकिनेशिया एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है और हमारे इम्यून सिस्टम को बहुत तेजी से बढ़ावा देती है।

जैसा कि आपको और हमे पता ही है की कोरोना वायरस के वेरिएंट फिर से उभर के सामने आ रहे है इसलिए आपको अपनी इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में पूरा जोर लगाना चाहिए और इन दवाइयों को प्रयोग में लाने से पहले लुधियाना में बेस्ट होम्योपैथिक डॉक्टर से जरूर सलाह ले।

सुझाव :

यदि आपको अपनी इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करना है तो अफेक्टो होम्योपैथिक क्लिनिक से संपर्क करे या इनकी वेबसाइट पर जाकर भी आप इनसे अपनी परेशानी से जुडी बात कर सकते है।

निष्कर्ष :

इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने के लिए बेस्ट होम्योपैथिक दवाई के साथ एक वेस्ट होम्योपैथिक क्लिनिक का भी चयन करे। और उपरोक्त बातो का खास ध्यान रखे।

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होम्योपैथिक में गले के खराश की समस्या का पाए बेहतरीन इलाज ?

गले में खराश की समस्या अक्सर बदलते मौसम या एलर्जी की वजह से व्यक्ति में ज्यादा पाई जाती है। या फिर बदलते मौसम में कुछ ठंडा या गर्म खाने से या दोनों एक साथ खाने से भी हमे इस समस्या का सामना करना पड़ता है। इसलिए इस आर्टिकल में हम बात करेंगे कि कैसे हम गले में खराश की समस्या से होम्योपैथिक की मदद से निजात पा सकते है ;

गले में खराश की समस्या क्या है ?

ये बहुत ही पीड़ित मंजर होता है, व्यक्ति के लिए, ये समस्या और क्या है, इसके बारे में हम विस्तार से बात करेंगे ;

  • गले में खराश की वजह से कई बार गले में इंफेक्‍शन हो सकता है. कई बार गले में होने वाला इंफेक्‍शन हफ्तों तक परेशान कर सकता है. प्रदूषण के छोटे-छोटे कण रेस्पिरेटरी सिस्‍टम में तकलीफ पैदा कर सकते हैं जिससे खांसी और अस्‍थमा की समस्‍या भी बढ़ सकती है।
  • गले में खराश कई कारणों से हो सकता है जैसे सर्दी, फ्लू, नाक से पानी आना, एसिड रिफ्लक्स आदि। गले में खराश सफेद पैच के रूप में और टॉन्सिल पर गहरे लाल धब्बे के रूप में , बुखार , जोड़ों में दर्द , दाने, निर्जलीकरण के साथ हो सकता है।

गले में खराश की समस्या से निजात पाने के लिए आप लुधियाना में बेस्ट होम्योपैथिक डॉक्टर  से संपर्क करे।

गले में खराश के लक्षण क्या है ?

इसके लक्षण निम्नलिखित है ;

  • भोजन खाते हुए गले में दर्द।
  • गले में खुजली, जलन और खरोंच सा महसूस होना।
  • निगलने में कठिनाई का सामना करना।
  • दर्द के साथ लालिमा, गले और टॉन्सिल की सूजन।
  • टॉन्सिल पर सफेद पैच, मवाद या अल्सर।
  • आवाज की कर्कशता।
  • खाँसना में दिक्कत का सामना करना।
  • गले में जलन आदि।

इसके लक्षण अगर आपमें ज्यादा नज़र आने लगे तो इसके लिए आप दिल्ली में बेस्ट होम्योपैथिक क्लिनिक से संपर्क कर्रे।

गले में खराश के लिए क्या है, होम्योपैथिक दवाई ?

  • एकोनाइट, इसको खुजली के लिए उपयोग में लिया जाता है।
  • बेलाडोना, तीव्र दर्द और लाली के साथ गले के लिए बेहतरीन होम्योपैथिक दवा।
  • नैट्रम म्यूर, कोल्ड और फ्लू के साथ गले के लिए होम्योपैथिक दवा।
  • मर्क सोल, निगलने में परेशानी के लिए होम्योपैथिक दवा।
  • आर्सेनिक एल्बम, इसका उपयोग सर्दी और जुखाम से बचने के लिए किया जाता है।
  • हेपर सल्फ, इसका प्रयोग तब किया जाता है, जब गले में दर्द की समस्या होती है।

गले में खराश का इलाज क्या है ?

इसके इलाज निम्न है ;

  • पर्याप्त आराम करना और आवाज को आराम देना।
  • गले को नम रखने के लिए ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन करे।
  • आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थ और आराम से पेय पदार्थ जैसे कि शोरबा, ग्रीन टी, शहद और अदरक के साथ बर्फ के टुकड़े का इस्तेमाल करे।
  • गर्म नमक के पानी से दिन में दो से तीन बार गरारे करने से गले को शांत करने, सूजन को कम करने और संक्रमण के बिगड़ने से रोकने में मदद मिल सकती है।

सुझाव :

 अफेक्टो होम्योपैथिक क्लिनिक की मदद से आप गले में खराश की समस्या से हमेशा के लिए निजात पा सकते है। बस यहाँ के डॉक्टर से आपको सम्पर्क करने की जरूरत होगी।

निष्कर्ष :

गले में खराश की समस्या काफी गंभीर बन जाती है, अगर इसका समय पर इलाज न करवाया जाए तो, इसलिए बदलते मौसम में अपना खास ध्यान रखे और उपरोक्त हल्के लक्षण भी नज़र आए तो डॉक्टर के संपर्क में जरूर से जाए।

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डायबिटीज के रोगियों को मिलेगा होम्योपैथिक में इसका बेहतरीन इलाज !

डायबिटीज का रोग काफी खतरनाक माना जाता है, क्युकि ये व्यक्ति को अपना शिकार किसी भी उम्र में बना सकता है। इसलिए इसके बारे में अच्छे से जानना बहुत जरूरी है। इसके इलावा हम बात करेंगे की क्या डायबिटीज का इलाज होम्योपैथिक में भी है और अगर है, तो क्या इस दवाई का उपयोग करके हम इस बीमारी का जड़ से खात्मा कर सकते है। तो चलिए बात करते है, डायबिटीज बीमारी के बारे ;

डायबिटीज की बीमारी क्या है ?

 डायबिटीज एक ऐसी समस्या है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपना शिकार बना सकती है, तो चलिए निम्न में डायबिटीज के बारे में बात करते है ;

  • हम जो भोजन करते हैं उससे, शरीर को ग्लूकोज प्राप्त होता है। जिसे कोशिकाएं शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में उपयोग करती हैं।
  • यदि शरीर में इंसुलिन मौजूद नहीं होता है। तो वे अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाते हैं और ब्लड से कोशिकाओं को ग्लूकोज नहीं पहुंचा पाता हैं। जिसके कारण ग्लूकोज ब्लड में ही इकट्ठा हो जाता है और ब्लड में अतिरिक्त ग्लूकोज नुकसानदायक साबित हो सकता है। इन्सुलिन की बात करें, तो यह एक तरह का हार्मोन ही होता है।

यदि बिना किसी नुकसान के आप डायबिटीज की दवाई की शुरुआत करना चाहते हो तो इसके लिए लुधियाना में बेस्ट होम्योपैथिक डॉक्टर के संपर्क में आए।

डायबिटीज के कारण क्या है ?

डायबिटीज काफी खतरनाक माना जाता है। अगर इसका समय पर इलाज न करवाया जाए, तो काफी नुकसान हो सकता है। इसके इलावा इसके कारण क्या है, इसके बारे में हम बात करेंगे ;

  • इंसुलिन की कमी इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण है।
  • परिवार में किसी व्यक्ति को डायबिटीज़ का होना।
  • बढ़ती उम्र भी इसके एक कारण में शामिल है।
  • हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल।
  • एक्सरसाइज ना करने की आदत।
  • हार्मोन्स का असंतुलन।
  • हाई ब्लड प्रेशर का होना।

डायबिटीज के लक्षण क्या है ?

इसके लक्षणों को जानना डायबिटीज के रोगियों के लिए काफी जरूरी है। साथ ही लक्षणों की बात करे तो इसके कुछ लक्षण हम निम्न में प्रस्तुत कर रहे है, जैसे ;

  • थकान महसूस होना।
  • मतली की समस्या।
  • बार-बार पेशाब आना।
  • प्यास और भूख में वृधि का होना।
  • वजन का घटना।
  • निगाह का कमजोर होना।

डायबिटीज की बीमारी काफी खतरनाक मानी जाती है। इसलिए इसके लक्षण दिखने पर सतर्कता दिखाते हुए दिल्ली में बेस्ट होम्योपैथिक क्लिनिक का चुनाव करो।

डायबिटीज का होम्योपैथिक में क्या उपचार है ?

इसके उपचार को अपना कर आप इस बीमारी का खात्मा जड़ से कर सकते हो। क्युकि होम्योपैथिक की दवाई में कई जड़ीबूटियों का प्रयोग किया जाता है। जिससे इस दवाई का काफी फ़ायदा होता है ;

  • यदि आप डायबिटीज के रोगी है, तो आपको टैबलेट का प्रयोग करना चाहिए।
  • आयुवेदिक तेल का प्रयोग करना।
  • मलहम का इस्तेमाल करना।
  • शुगर पैलेट का उपयोग करना।
  • कुछ बूँदें लेना डायबिटीज की बीमारी से जुडी हुई।
  • क्रीम का इस्तेमाल करना पर डॉक्टर के सलाह पर ही इन सबका प्रयोग करे।

 

इन उपचारो को डॉक्टर के द्वारा डायबिटीज के मरीजों पर प्रयोग किया जाता है। इन उपरोक्त उपचार को यदि आप किसी हॉस्पिटल से या क्लिनिक से करवाना चाहते हो तो अफेक्टो होम्योपैथिक क्लिनिक बेहतरीन विकल्प है।

निष्कर्ष :

यदि आपके अंदर डायबिटीज के लक्षण काफी ही जोखिम भरे नज़र आए तो आपको बिना देर किए किसी अच्छे क्लिनिक का चुनाव कर लेना चाहिए। नहीं कई बार इसका खतरा काफी बढ़ जाता है। जिससे इसका इलाज पाना नामुमकिन सा हो जाता है।

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होम्योपैथी दवाई के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर इसको प्रयोग में लाना हुआ आसान

आज के इस लेख में हम बात करेंगे कि कैसे होम्योपैथी दवाई की मदद से बीमारी का खात्मा जड़ से होगा पर उसके लिए हमे पहले ये जानना होगा की आखिर ये दवाइया काम किस-किस बीमारी के आती है। जिसके फलस्वरूप हम अच्छे से इन दवाइयों का प्रयोग करने में सफल सिद्ध होंगे।

होम्योपैथी दवाई क्या है ?

ये दवाई किस काम आती है इसके बारे में हम निम्न में बात करेंगे :

  • होमियोपैथी दवाई व्यक्ति के संपूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने पर बल देती है। इस दवाई को लेने से व्यक्ति को कोई भी नुकसान नहीं होता। और साथ ही उसकी बीमारी का खात्मा भी जड़ से हो जाता है।
  • होमियोपैथी दवाई को अगर हम समय पर और इसके नियमानुसार लेते है, तो ये हमारे शरीर को काफी फ़ायदा पहुंचाती है।

होम्योपैथिक में कौन-कौन सी बीमारी का इलाज मिलता है?

 

  • होम्योपैथिक दवाओं की मदद से सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि कई मानसिक बीमारियों का इलाज भी किया जा सकता है।
  • बता दे की होम्योपैथिक में कई अन्य दवाइया भी मिलती है। जो व्यक्ति का शारीरिक रूप से भी ध्यान रखती है। जिनमें से बाइपोलर डिसऑर्डर, ऑटिज्म और डिप्रेशन जैसी बड़ी बीमारियां भी शामिल हैं। साथ ही होम्योपैथी में कई मूड डिसऑर्डर को भी ठीक किया जाता हैं।

आप भी अगर होम्योपैथिक तरीके से अपना इलाज करवाने के बारे में सोच रहे हो तो आपको क्या परेशानी है। उसके बारे में आप लुधियाना में बेस्ट होम्योपैथिक डॉक्टर से सम्पर्क कर सकते हो।

होम्योपैथिक दवाई को कब खाए और इसमें परहेज क्या करे ?

होम्योपैथिक की दवाई को अगर हम समय पर लेते है, तो हमे काफी फ़ायदा देखने को मिलता है।  जिनमे से कुछ निम्न प्रकार से है ;

  • कुछ अनुभवी लोगो का कहना है कि होम्योपैथिक दवाई को लेने का सही समय है, खाना खाने से आधे घंटे पहले और दवा लेने के आधे घंटे बाद तक हमे कुछ भी नहीं खाना चाहिए।
  • और इस दवाई के दौरान परहेज की अगर बात करे तो इसमें हमे मुंह को अच्छे से साफ करके दवा सीधे मुंह में डालनी चाहिए। तो वही ट्रीटमेंट के दौरान ज्यादा गंध वाले फूड्स को नहीं खाना चाहिए।

इसकी होम्योपैथिक दवाई को कब लेना चाहिए। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए आप दिल्ली में बेस्ट होम्योपैथिक क्लिनिक का चुनाव भी कर सकते हो।

होम्योपैथिक दवाई का असर कितने देर में होता है ?

इसका असर निर्भर करता है व्यक्ति ने दवाई को कैसे और किस समय पर लिया है ;

  • दूसरी बात इस दवाई का असर निर्भर करता है कि व्यक्ति का रोग कितना जटिल है। मतलब यह निर्भर करता है कि मरीज का रोग एक्यूट है या क्रॉनिक। एक्यूट रोगों में यह 5 से 30 मिनट और क्रॉनिक बीमारियों में यह 5 से 7 दिन में असर दिखाना शुरू करता है।

सुझाव :

होम्योपैथिक दवाई के बारे में और विस्तार से जानने के लिए आप अफेक्टो होमियोपैथी क्लिनिक का चुनाव भी कर सकते हो। ताकि आपको ये दवाई को लेने की शुरुआत कब और कैसे करनी है, पता चल सके।

निष्कर्ष :

उपरोक्त बातो को अच्छे से जानने के बाद आपको अगर होम्योपैथिक से अपना इलाज करवाना है, तो इसे आप आसानी से करवा सकते है। पर डॉक्टर से कृपया एक बार सलाह जरूर से ले।

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पीसीओडी (PCOD)और पीसीओएस (PCOS) क्या है, जानें इसके लक्षण, कारण और उपचार ?

पीसीओडी (PCOD)और पीसीओएस (PCOS) क्या है, इसके बारे में हम आज के इस लेखन में बात करेंगे। उम्मीद करते है कि आपको भी इसके बारे में जानने की जिज्ञासा जरूर होगी। खास कर महिलाओं को क्युकि ये परेशानी उनमें ही उत्पन होती है। 

 पीसीओडी और पीसीओएस क्या है ?

पीसीओडी (PCOD) और पीसीओएस (PCOS) क्या है, इसके बारे में हम निम्न में बात करेंगे।;

  • पीसीओडी (PCOD) का मतलब पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजिज और पीसीओएस (PCOS) पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम है। 
  • यह समस्या आमतौर पर महिलाओं के अंदर हॉर्मोनल असंतुलन के कारण उत्पन्न हो जाती है। इसमें महिला के शरीर में मेल हार्मोन ‘एण्ड्रोजन’ का लेवल बढ़ जाता है और अंडाशय पर एक से ज़्यादा सिस्ट (ओवरी में द्रव से भरी हुई थैली का उत्पन्न होना) का होना। 

PCOD: पीसीओडी के कारण क्या है ?

पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के बहुत से कारण है जिम्मेदार ;

  • वजन का बढ़ना या मोटापा। 
  • किसी कारण पीरियड्स का असंतुलित होना। 
  • कुछ मामलों में आनुवंशिक कारण होना। 
  • महिला की शरीर में इंसुलिन के स्तर का बढ़ना। 
  • डाइट में पोषक तत्वों से भरपूर चीजों का शामिल न होना। 

यदि आप पीसीओडी के कारणों को जानने के बाद इसका इलाज करवा के, इस बीमारी का खात्मा जड़ से करना चाहते है। तो लुधियाना में बेस्ट होम्योपैथिक डॉक्टर के संपर्क में आए। 

पीसीओडी के क्या लक्षण है ?

इसके लक्षण इस प्रकार है ;

  • पीरियड्स का अनियमित होना। 
  • शरीर पर एक्स्ट्रा बालों का आना।
  •  बालों का पतला होकर झड़ना।
  • त्वचा का तैलीय होना

PCOS: पीसीओएस के कारण क्या है :

इसके निम्न कारण है जिम्मेदार :

  • हामीले या चिंतन की समस्या का पैदा होना। 
  • मोटापा। 
  • शुगर को भी पीसीओएस का एक कारण माना जाता है। 
  • हाइपोथाइरोसिस। 

पीसीओएस के लक्षण ?

इसके निम्न लक्षण है जिम्मेदार ;

  • सबसे पहला लक्षण है अनियमित मासिक धर्म का आना। 
  • वजन का बढ़ता। 
  • अनचाहे अंगों पर बालों का उगना जैसे ठोड़ी, चेहरे, छाती, पीठ, पेट आदि। 
  • त्वचा संबंधी कोई समस्या। 
  • थकावट का रहना। 
  • अंडाशय में सिस्ट। 
  • इंसुलिन प्रतिरोध। 
  • उच्च टेस्टोस्टेरोन के स्तर का बढ़ना। 
  • डिप्रेशन या एंग्जायटी की समस्या का उत्पन होना। 
  • गर्भधारण में समस्या इत्यादि। 

यदि आप पीसीओडी और पीसीओएस की समस्या से हमेशा के लिए निजात पाना चाहते है, तो दिल्ली में बेस्ट होम्योपैथिक क्लिनिक का चुनाव करे। 

उपचार क्या है, पीसीओडी और पीसीओएस की बीमारी का ?

  • पीसीओडी और पीसीओएस का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि महिला गर्भवती होना चाहती है या नहीं। 
  • डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों के सेवन से हार्मोन को संतुलन में लाया जा सकता है। जिससे पीसीओएस और पीसीओडी की समस्या से राहत मिल सकती है।
  • ओव्यूलेशन इंडक्शन भी एक उपचार के तौर पर करवाया जा सकता है।

सुझाव :

यदि आपने उपरोक्त लेख को पढ़ा है। तो आपको पता चल गया होगा की पीसीओडी और पीसीओएस की समस्या क्या है। तो अगर आप भी इस समस्या से निजात पाना चाहते है। तो बिना समय गवाए किसी अच्छे क्लिनिक का चुनाव करे या आप अफेक्टो होम्योपैथिक क्लिनिक से भी सम्पर्क कर सकते है, इस बीमारी से निजात पाने के लिए। 

निष्कर्ष :

पीसीओडी और पीसीओएस के लक्षणों को यदि आपने अच्छे से जान लिया है। तो बिना समय गवाए किसी अच्छे डॉक्टर से जरूर सम्पर्क करे। क्युकि ये बीमारी अगर आपमे ऐसे ही बनी रही, तो ये और बीमारियों को भी जन्म दे सकती है।

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Cancer Hindi Homeopathy Treatment

जानें कम लागत में कैंसर का इलाज, होम्योपैथी में कराना कैसे हुआ आसान ?

होम्योपैथी की दवाई क्या हैं ?

  • होम्योपैथिक की दवाइया काफी लाभकारी होती हैं हमारे सेहत के लिए क्युकि ये तरह-तरह के जड़ीबूटियों को मिलाकर बनाई जाती हैं। 
  • साथ ही होम्योपैथिक दवाओं के सेवन से व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्वस्थ की स्थिति भी काफी अच्छी रहती हैं। 
  • होम्योपैथिक दवाओं के इस्तेमाल मात्र से पुरानी और भयंकर बीमारी का खात्मा जड़ से किया जा सकता हैं। 

होम्योपैथिक की दवाई कैंसर की बीमारी में कैसे हैं सहायक ?

  • शरीर में कोशिकाए जब अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं तो यह आस-पास के ऊतकों को नुकसान पहुंचाने लगती हैं। साथ ही कोशिकाओं का असमान्य विकास ही कैंसर जैसी बीमारी को बढ़ावा देता हैं। 
  • तो वहीं कैंसर की बात करें तो ये हमारे शरीर के विभिन्न अंगो पर असर करती हैं जैसे स्तन और फेफड़े का कैंसर, गर्भाश्य ग्रीवा का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर इत्यादि।  
  • होम्योपैथिक की दवाई की अगर बात करें तो बिल्कुल कहा जा सकता हैं की इसमें कैंसर की बीमारी का खात्मा किया जा सकता हैं। क्युकि एलोपेथी में तो हमें पता ही हैं कि कैंसर की बीमारी को सर्जरी की मदद से ठीक किया जाता है। लेकिन सर्जरी के कुछ दिन बाद आपमें इस बीमारी के लक्षण फिर से उभरने लगते हैं। 
  • इसके उलट होम्योपैथिक में कैंसर की बीमारी का खात्मा धीरे-धीरे जड़ से होता हैं। 

यदि आप होम्योपैथिक की दवाई को कैंसर की बीमारी से निजात पाने के लिए चुन ही चुके हैं तो लुधियाना में बेस्ट होम्योपैथिक डॉक्टर का चुनाव करें। 

कैंसर की बीमारी में किन दवाओं का करें इस्तेमाल ?

  • सबल सेरुलता, यदि आपको मूत्रशय, स्तनों में विकारो सम्बंधित परेशानी हैं तो आप इस होम्योपैथिक दवाई का सेवन कर सकते हैं। 
  • रूटा गरेवोलेंस की दवाई को आंत या किडनी के कैंसर के समय लिया जाता हैं। 
  • लाइकोपोडियम क्लेवेटम की दवाई लिवर और फेफड़े के कैंसर में काफी सहायक मानी जाती हैं। 
  • पल्सेटिला नाइग्रिकन्स का इस्तेमाल महिलाओं को कैंसर की बीमारी से निजात दिलवाने के लिए किया जाता हैं। 

कैंसर की बीमारी से हमेशा के लिए अगर आप पाना चाहते हैं निजात तो दिल्ली में बेस्ट होम्योपैथिक क्लिनिक का चुनाव करें। 

होम्योपैथिक में कैंसर की बीमारी का खर्चा ?

  • एलोपेथी की अगर बात करें तो इसमें सर्जरी शामिल होती हैं कैंसर की बीमारी को ख़त्म करने के लिए इसलिए इसका खर्चा 3 से 4 लाख के आस-पास आता हैं। 
  • तो वहीं अगर बात करें होम्योपैथिक में कैंसर की बीमारी के इलाज के खर्चे की तो यह निर्भर करता है व्यक्ति के कैंसर पर कि उसका कैंसर कितना भयानक है। 
  • बात करें होम्योपैथिक में कैंसर के खर्चे की तो इसके वास्तविक खर्चे का अनुमान नहीं लगाया जा सकता हैं। 

निष्कर्ष :

यदि आप के ऊपर कैंसर की बीमारी ने आक्रमण कर रखा हैं तो बिना समय गवाए किसी अच्छे होम्योपैथिक डॉक्टर या क्लिनिक का चुनाव जरूर करें।

क्युकि समय रहते अगर इस बीमारी पर रोक लगा दी जाए तो इसका खात्मा हम जड़ से कर सकते हैं। इसके इलावा आप अफेक्टो होमियोपैथी क्लिनिक का चुनाव भी कर सकते हैं, अपनी बीमारी को जड़ से ख़त्म करने के लिए। 

साथ ही ये भी बता दे की अगर आप किसी भी होमियोपैथी क्लिनिक का चुनाव करें उसके लिए आपको सबसे पहले ये देखना हैं कि डॉक्टर का अनुभव कितना हैं और आपको डॉक्टर की शिक्षा पद्धति का भी ध्यान रखना हैं। ताकि आपकी बीमारी को ठीक करने में कोई भी परेशानी न उत्पन हो पाए। 

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ऑटिज़्म (Autism): प्रकार, लक्षण, उपचार और इलाज

ऑटिज़्म (Autism) कारण,लक्षण और उपचार कैसे होंगे सहायक ?

ऑटिज़्म (Autism) क्या हैं ?

  • ऑटिज़्म (Autism) को मेडिकल भाषा में ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर Autism spectrum disorder (ASD) कहते हैं। यह एक विकास संबंधी गड़बड़ी है जिससे पीड़ित व्यक्ति को बातचीत करने में, पढ़ने-लिखने में और समाज में मेलजोल बनाने में परेशानियां आती हैं।
  • ऑटिज़्म (Autism) एक ऐसी स्थिति है जिससे पीड़ित व्यक्ति का दिमाग अन्य लोगों के दिमाग की तुलना में अलग तरीके से काम करता है। वहीं, ऑटिज़्म से पीड़ित लोग भी एक-दूसरे से अलग होते हैं। यानि कि आटिज्‍म के अलग-अलग मरीजों को अलग-अलग लक्षण महसूस हो सकते हैं।
  • हालांकि इस बीमारी के बारे में अभी तक बहुत ज्‍यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है और न ही वर्तमान में इसका कोई पूर्ण इलाज है। वैसे तो इस बीमारी से पीड़ित लोग नौकरी करने, परिवार और दोस्तों के साथ मेल-मिलाप करने में सक्षम होते हैं, लेकिन कई बार उन्हें इसके लिए दूसरों की मदद लेनी पड़ती है।

ऑटिज़्म (Autism) के प्रकार क्या हैं ?

ऑटिज़्म (Autism) मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं, जिनका वर्णन हम निम्न कर रहें,..

  • ऑटिस्टिक डिसॉर्डर, यह ऑटिज़्म के सबसे आम प्रकारों में से एक प्रकार माना जाता है। जो लोग ऑटिज्‍म के इस डिसऑडर से प्रभावित होते हैं उन्‍हें सामाजिक व्यवहार में और अन्य लोगों से बातचीत करने में मुश्किलें आती हैं।
  • अस्पेर्गेर सिंड्रोम, इस सिंड्रोम को ऑटिस्टिक डिसऑडर का सबसे हल्का रूप माना जाता है। इस सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति कभी कभार अपने व्यवहार से भले ही अजीब लग सकते हैं लेकिन, कुछ खास विषयों में इनकी रूचि बहुत अधिक हो सकती है।
  • पर्वेसिव डेवलपमेंट डिसॉर्डर, आमतौर पर इसे ऑटिज़्म का प्रकार नहीं माना जाता है। कुछ विशेष स्थितियों में ही लोगों को इस डिसॉर्डर से पीड़ित माना जाता है।

ऑटिज़्म (Autism) के लक्षण क्या हैं ?

इस बीमारी के लक्षण आमतौर पर 12-18 महीनों की आयु में (या इससे पहले भी) दिखते हैं जो सामान्‍य से लेकर गम्भीर हो सकते हैं। ये समस्याएं पूरे जीवनकाल तक रह सकती हैं। तो वहीं इनमे ऑटिज़्म के निम्‍न संकेत दिखाई देते हैं-

  • एक ही शब्द को बार-बार बोलना या बड़बड़ाना।
  • किसी चीज़ की तरफ इशारा करना।
  • मां की आवाज़ सुनकर मुस्कुराना या उसे प्रतिक्रिया देना।
  • हाथों के बल चलकर दूसरों के तरफ जाना।
  • आंखों में आंखें मिलाकर ना देखना।

यदि आप या आपके बच्चे में इनमे से कुछ भी लक्षण दिखाई दे तो लुधियाना में बेस्ट होम्योपैथिक डॉक्टर का चुनाव करें।

होम्योपैथी ऑटिज़्म (Autism) का इलाज कैसे करती है ?

होम्योपैथी में ऑटिज़्म का इलाज निम्न तरीके से किया जाता हैं,.. जैसे

  • गुड बिहेवियर थेरेपी, की मदद से बच्चे में सकारात्मक की भावना उत्पन होती हैं।
  • अच्छी डायट, की मदद से भी बच्चे को इस बीमारी से ठीक किया जा सकता है।
  • अच्छी होम्योपैथिक थेरेपी, तभी संभव है जब बच्चे के मानसिक कारको को अच्छे तरीके से आप जान लेंगे।

यदि आप इस बीमारी से निजात पाने के बारे में सोच रहे है तो दिल्ली में बेस्ट होम्योपैथिक क्लिनिक का चुनाव भी काफी अच्छा होगा आपके और आपके बच्चे के लिए।

यदि आप इसका इलाज करवाने के लिए किसी अच्छे होम्योपैथिक क्लिनिक या डॉक्टर की तलाश कर रहे हैं, तो अफेक्टो होमियोपैथी आपके सामने एक अच्छा विकल्प निकल कर आया हैं.

निष्कर्ष :

यदि आपका दिमाग भी सही तरीके से काम नहीं करता और आप ऑटिज़्म की बीमारी का सामना कर रहें है तो बिना समय गवाए किसी अच्छे होमियोपैथी डॉक्टर का चुनाव करे और जड़ से इस बीमारी का खात्मा करें।

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होम्योपैथिक में एक्जिमा (Eczema) जैसी बीमारी का समाधान पाना हुआ अब और आसान !

एक्जिमा (Eczema) कौन सी बीमारी हैं ?

एक्जिमा (Eczema) की बीमारी के समाधान के बारे में हम निम्न प्रस्तुत करेंगे,..

  • एक्जिमा एक ऐसी बीमारी है, जिसमें त्वचा में तेज खुजली होती है और स्किन रूखी हो जाती है।
  • कुछ लोगों में तो यह समस्या इतनी तकलीफदेह हो जाती है कि उन्हें इसका लंबा ट्रीटमेंट करवाना पड़ता हैं।
  • और बता दे कि ये बीमारी अक्सर बदलते मौसम के साथ आती हैं और लोगों के लिए काफी परेशानी खड़ी करती हैं।
  • एक्जिमा (Eczema) को जेनेटिक और पर्यावरणीय कारको की भूमिका के तौर पर माना जाता हैं।

Eczema: एक्जिमा के लक्षण क्या हैं ?

एक्जिमा के कई लक्षण हैं जो हमारे शरीर को काफी हद्द तक नुकसान पहुंचाते है, जिनका वर्णन हम निम्न प्रस्तुत कर रहे हैं

  • बहुत खुजली का होना।
  • खुजाने से त्वचा पर लाल चकत्ते, एवं छोटी-छोटी फुंसिया का उभारना।
  • तेज खुजली होने पर खुजलाने से खून का भी निकलना।
  • त्वचा पर जलन का होना।

यदि आप लक्षणों से जान चुके हैं कि आपके शरीर में एक्जिमा की बीमारी ने जन्म ले लिया हैं, तो बिना समय गवाए दिल्ली में बेस्ट होम्योपैथिक क्लिनिक से अपना इलाज शुरू करवा दे, ताकि बाद में आपको परेशानी का सामना न करना पड़े।

एक्जिमा की बीमारी में भोजन का क्या परहेज हैं ?

 अनाज में, नया धान व मैदा।

  • दाल में काबुली चना, मटर, काले चना, देसी चने।
  • फल एवं सब्जियां में आलू, शिमला मिर्च, कटहल, बैंगन, अरबी (गुइया), भिंडी, जामुन, आड़ू, कच्चा आम, केला, सभी मिर्च।
  • अन्य ऐसे भोजन जो जलन और गैस उत्पन्न करे और पाचन कम करे उनके सेवन को भी वर्जित करें।

एक्जिमा में कौन सी होम्योपैथिक दवाई हैं फायदेमंद ?

एक्जिमा से राहत पाने के लिए बहुत से लोग होम्योपैथिक दवाई का सेवन करते है और इन दवाइयों को लेने के लिए खुद डॉक्टर भी सुझाव देते है, जैसे…

  • आर्सेनिकम एल्बम, की दवाई से सूजे हुए और पीले चेहरे से राहत, और साथ ही रूखी और परतदार चमड़ी से भी सुरक्षा।
  • कैल्केरिया कार्बोनिका, विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में लोगों को सर्दियों से होने वाले एक्जिमा के रोग से राहत दिलवाती हैं।
  • ग्रैफाइटिस, ये दवाई, दुविधा और जल्दी से निराश होने वालें साथ ही जिनकी पलकें लाल व सूजी हुई होती हैं उन्हें दी जाती हैं।
  • मेजेरियम, असहनीय खुजली होने पर दी जाती हैं।

होम्योपैथिक में एक्जिमा का इलाज क्या हैं ?

  • स्टेरॉयड से एक्जिमा की बीमारी से निजात पाया जा सकता हैं लेकिन जितनी देर तक ये दवाई चलेगी उतनी देर तक ही फ़ायदा होता हैं।
  • तो वही अगर होम्योपैथिक से हम अपना इलाज करवाते हैं, तो इसका कोई नुकसान नहीं होता हमारे शरीर पर।
  • एक अध्यन से ये भी पता लगा है की लगातार 3 महीने होम्योपैथिक की दवाई लेने से व्यक्ति की बीमारी के ख़त्म होने की उम्मीद ज्यादा होती हैं।

क्जिमा की बीमारी ने अगर आपको परेशान कर रखा हैं तो इसके इलाज के लिए लुधियाना में बेस्ट होम्योपैथिक डॉक्टर का करें चयन।

निष्कर्ष :

यदि आप एक्जिमा के लक्षणों से काफी परेशान है तो बिना परेशान हुए अफेक्टो होमियोपैथी क्लिनिक का चुनाव अपने इस एलर्जी और बीमारी के लिए करें। ताकि आपको और परेशानी न हो, तो वहीं यहाँ पर इलाज किफायती दाम पर किया जाता हैं जिससे की आपके जेब पर भी ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। या आपने कोई क्लिनिक का चुनाव करना है तो इस बात का ध्यान रखें की उस क्लिनिक में आपका उपचार अच्छे से हो सकें।

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सोरायसिस (Psoriasis) – प्रकार, कारण, लक्षण, उपचार

होम्योपैथिक दवा ने सोरायसिस बीमारी के लक्षणों और कारणों का किया खात्मा

सोरायसिस (Psoriasis) किसे कहा जाता है ?

सोरायसिस (Psoriasis) एक त्वचा रोग है जो खुजली, पपड़ीदार पैच के साथ चकत्ते का कारण बनता है जो कि आमतौर पर घुटनों, कोहनी, धड़ और सर पर होता है।

सोरायसिस एक सामान्य, क्रोनिक बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है। यह बीमारी दर्दनाक हो सकती है, जोकि हमारे नींद में बाधा डाल सकती है और ध्यान केंद्रित करना मुश्किल बना सकती है। सोरायसिस होने पर स्थिति पेंचीदा हो जाती हैं। जोकि कुछ हफ्तों या महीनों के लिए भड़कती है, फिर थोड़ी देर के लिए कम हो जाती है।

Plaque psoriasis - Before & After Images
Plaque Psoriasis – Before & After Images

सोरायसिस कितने प्रकार के हो सकते है?

 हमारे शरीर में इनके प्रकारो की गिनती बहुत हैं पर हम कुछ को ही आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं, जैसे..,

  • प्लाक सोरायसिस।
  • उलटा सोरायसिस में आपकी त्वचा की सिलवटों में दिखाई देती है।
  • गुटेट सोरायसिस से हमारी त्वचा पर छोटे, लाल, बूंद के आकार के पपड़ीदार धब्बों दिखाई देते हैं।
  • पुष्ठीय छालरोग में छोटे, मवाद से भरे धक्कों का होना।
  • नाखून सोरायसिस इत्यादि।

सोरायसिस के कारण :

एक अति-प्रतिक्रियाशील प्रतिरक्षा प्रणाली जो आपकी त्वचा में सूजन पैदा करती है, सोरायसिस का कारण बनती हैं।

  • इसके अतिरिक्त भावनात्मक तनाव।
  • संक्रमण।
  • त्वचा की चोट जैसे कट, खरोंच या सर्जरी।
  • लिथियम और बीटा-ब्लॉकर्स दवाई का सेवन भी कारण है सोरायसिस का।
  • मौसम के कारण शरीर के तापमान में बदलाव।

लक्षण क्या हैं इस बीमारी के ?

सोरायसिस के निम्नलिखित लक्षणों को हम निम्न प्रस्तुत कर रहे हैं..,

  • त्वचा में खुजली।
  • फटी हुई त्वचा।
  • सूखी त्वचा।
  • त्वचा में दर्द।
  • नाखून जो खड़े, फटे या उखड़े हुए हों।
  • जोड़ों का दर्द।

यदि लक्षणों के बारे में आपको पता चल चूका हैं तो लुधियाना में बेस्ट होम्योपैथिक डॉक्टर का चुनाव आपके लिए अच्छा माना जाता है

जोखिम कारक क्या है सोरायसिस के ?

परिवार के इतिहास का होना भी इसके जोखिम कारको में से एक है।

धूम्रपान के सेवन से खतरा काफी हद तक बढ़ जाता हैं।

इसका खतरा काफी हद्द तक अगर बड़ चूका है तो आप इसके लिए दिल्ली में बेस्ट होम्योपैथिक क्लिनिक का चयन कर सकते हैं

सोरायसिस के लिए होम्योपैथिक उपचार :

  • कब्ज के साथ सोरायसिस के लिए ग्रेफाइट्स सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक उपचारों में से एक है
  • सिर पर सोरायसिस के मामले में मेज़रेम सहायक होता है.
  • त्वचा पर फोड़े और फुंसी के लिए सेपिया की दवाई काफी उपयोगी मानी जाती है। पर इसका इस्तेमाल हम बार-बार नहीं कर सकते है।
  • थायराइडिनम मोटापा के साथ सोरायसिस के लिए सबसे अच्छी होम्योपैथिक दवाओं में से एक मानी जाती है।
  • विभिन्न त्वचा विकारो के लिए सल्फर को सहायक माना जाता है।
  • बांह कोहनी और परतदार खुजली के मामले में काली अर्श की दवाई लाभकारी मानी जाती है।
Erythrodermic Psoriasis Before After Photos
Erythrodermic Psoriasis Before After Photos

निष्कर्ष :

उपरोक्त दी गई सोरायसिस बीमारी के बारे में यदि आपको पता चल गया है तो इसे नज़रअंदाज़ न करें बल्कि समय रहते इसके निदान का रास्ता ढूंढे।

इस रोग में व्यक्ति को होमियोपैथी डॉक्टर से जरूर मुलाकात करनी चाहिए यदि आपको कोई नुकसान नहीं चाहिए तो, या फिर आप अफेक्टो होमियोपैथी क्लिनिक पर आकर भी अपने इस बीमारी के इलाज की दवा ले सकते है जिससे की आपको कुछ ही दिनों में जल्दी फ़ायदा हो सके।

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